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जब भोंसले शासकों द्वारा जी.ई.रोड नंबर 6 का निर्माण किया गया था तब राजनांदगांव शहर संभवतः अस्तित्व में नहीं था। अंग्रेजों ने अपने उपयोग और सुविधा के लिए जी.ई.रोड को नागपुर से पश्चिम बंगाल तक जोड़ा। उस दौरान "कैम्पटी" के कुछ व्यापारी राजनांदगांव में बस गये। इतिहास के अनुसार, राजनांदगांव राज्य 1830 में अस्तित्व में आया जब बैरागी वैष्णव महंत नामक एक जमींदार राजनांदगांव में राजधानी लाया जो सड़क के किनारे स्थित था। इस प्रकार राज्य का प्रारंभिक शासक बैरागी था। चूँकि इस राज्य का शासक "कृष्ण उपासक" था, इसलिए इस क्षेत्र का नाम नंदगाँव रखा गया क्योंकि नंद भगवान कृष्ण के पिता को दर्शाते हैं। इसके बाद नंदगांव का नाम राजनांदगांव रखा गया क्योंकि "ग्रेट इंडियन पेनिसुला" में नंदगांव नाम से रेलवे स्टेशन था और चूंकि नंदगांव एक शासक शासित राज्य था इसलिए इसका नाम राजनांदगांव पड़ा। बाद में राजनांदगांव राज्य का संघ में विलय हो गया। बाद में राजनांदगांव राज्य का भी इसमें विलय हो गया। 1 जनवरी 1948 को भारत का संघ। महंत दिग्विजयदास राज्य के अंतिम शासक थे जिनकी मृत्यु 22 जनवरी 1958 को हुई। 26 जनवरी 1973 तक राजनांदगांव राजस्व जिला दुर्ग के अंतर्गत था। राजस्व जिला राजनांदगांव 26.01.1973 को अस्तित्व में आया। इसके पहले[...]
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